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कलियुग के अंत से पहले दिखेंगे ये 6 लक्षण | How will Kaliyuga End?

 मित्रों हिन्दू धर्म में समय के कालखण्ड को चार युगों में बांटा गया है जिनमें से अभी कलियुग चल रहा है। इससे पहले सतयुग त्रेता युग एवं द्वापर युग बीत चुके हैं। आज के समय में अधर्म अपने पांव लगातार पसारता जा रहा है। समाज में आए दिन हत्या और बलात्कार जैसी घटनाएं सुनने को मिलती हैं। 

कलियुग के अंत से पहले दिखेंगे ये 6 लक्षण | How will Kaliyuga End?

ऐसे में अधिकतर जनमानस के मन में यह सवाल बार बार उठता है कि आखिर इसे श्रापित काल अर्थात कलियुग की समाप्ति कब होगी और उसमें ऐसे कौन कौन से लक्षण देखने को मिलेंगे जिनसे यह पता चल सके कि कलियुग अब तक खत्म होने वाला है। आज के इसी पोस्ट के माध्यम से हम यही मिलकर जानेंगे।

 तो नमस्कार और स्वागत है आप सभी का कंटेंट मसाला पर एक बार फिर। मित्रों हिन्दू धर्म के भागवत पुराण स्कंद पुराण भविष्य उत्तर पुराण तथा ब्रह्मवैवर्त पुराण में कलियुग के अंत के बारे में विस्तार से बताया गया है। तो आइये जानते हैं इन्हीं धर्म ग्रंथों से संकलित कुछ ऐसे लक्षणों के बारे में जो हमें कलियुग के अंत की तरफ देखने लगे हैं। दोस्तो हो जाएगी सामाजिक कमियां । 

शिव पुराण में मुंशी व्यासजी के अनुसार कलियुग में मनुष्यों में वर्ण एवं आश्रम जैसे नियम पूरी तरह ध्वस्त हो जाएंगे। वेदों और धर्मशास्त्रों में लोगों की रूचि कम हो जाएगी। विवाह को धर्म नहीं माना जाएगा। शिष्य लोग अपने गुरुओं का सम्मान नहीं करेंगे। इतना ही नहीं पुत्र भी अपने कर्तव्यों से विमुख हो जाएंगे और पिता का सम्मान नहीं करेंगे। जो बलवान होगा लोग उसी को सम्मान देंगे भले ही वह अधार्मिक प्रवृत्ति का विवाह में दहेज जैसी प्रथा समाज में हावी हो जाएगी। कलयुग में लोग वैदिक नियमों से दूर होते चले जाएंगे और अपनी सुविधानुसार व्रत एवं अनुष्ठान का पालन करेंगे। 

धन के बल पर सिर्फ धार्मिक होने का दिखावा किया जाएगा। धर्म में पाखंड का प्रवेश होगा जो इंसान थोड़ा सा भी धन कमा लेगा उसके अंदर घमंड समा जाएगा जो अधिक देगा उसे ही मनुष्य अपना स्वामी मानेंगे। लोग एक दूसरे से केवल पद के आधार पर संबंध रखेंगे। आत्मीयता जैसे भाव लोगों में रहेंगे ही नहीं। यही नहीं लोगों में एक दूसरे के प्रति अविश्वास बढने लगेगा।

 परिणामस्वरूप सरल और सीधे इंसान का जीवन बहुत ही कठिन हो जाएगा। अगर वे भरोसे पर किसी को उतार देगा तो सामने वाला उसका कर्जा नहीं लौटाएगा और ज्यादा मानने पर उसे धमकाया भी मनुष्यों की आयु में आएगी कमी कलयुग में इंसानों की उम्र दिन ब दिन घटती जाएगी और बहुत कम उम्र के लोग बेरोजगार होने लगेंगे। लोगों के बाल सोलह वर्ष की छोटी सी आयु में ही पकने लगेंगे और इतना ही नहीं बीस वर्ष की उम्र आते आते कलयुग के लोग बूढ़े होने लगेंगे। 

यह बात सच भी प्रतीत होती है क्योंकि अगर हम अपनी पिछली कुछ पीढ़ियों से वर्तमान पीढ़ी की तुलना करें तो यह बातें साफ साफ दिखती है जो कभी औसत आयु सौ वर्ष के लगभग थी वही आज 60 65 हो गई है। भविष्य में भी इनसानों की औसत उम्र में आने वाली यह कमी आती रहेगी क्योंकि प्राकृतिक वातावरण लगातार बिगड़ रहा है और हमारी दिनचर्या असंतुलित हो गई है।

 इतना ही नहीं घोर कलयुग में 2 5 6 व 7 वर्ष की स्त्री और 8 9 और 10 वर्ष के पुरुषों से ही संतान होने लगी। लोग मंदबुद्धि हो जाएंगे और व्यर्थ के कामों में अपना समय खर्च करेंगे। बढ़ जाएगा अनैतिकता का दायरा मिटाओ कलियुग जैसे जैसे आगे बढ़ेगा वैसे वैसे स्त्री और पुरुष दोनों धर्म के मार्ग से बुरी तरह भटक जाएंगे। 

दिलवाले नारायन शर्मा नारद जी को बताया था कि कलियुग में एक समय ऐसा आएगा कि जब सभी पुरुष इन स्त्रियों के अधीन होकर अपना जीवन व्यतीत करेंगे। हर घर में पत्नी ही पति पर राज करेगी। पतियों को पत्नी की डांट सुननी पड़ेगी। पुरुषों की हालत नौकरों के समान हो जाएगी। रिश्तों की गरिमा तार तार हो जाएगी और ज्यादातर लोग गंदे भद्दे और अश्लील साहित्य पढ़ने और देखने लगेंगे। 

बुरी बातें और बुरे शब्दों का ही व्यवहार होगा या स्त्री अपने पति व्रत का पालन नहीं करेगी वह पुरुष भी पूरी स्त्रियों के साथ संबंध बनाएंगे कि स्त्रियों और पुरुष से संबंधित सभी वैदिक नियम। लुप्त होते जाएंगे जिसके पास भी धन होगा उसी के पास इंद्रियां रहेंगी और धीरे धीरे मनुष्यों का संवाद भी जानवरों के समान होता जाएगा। 

छीना झपटी बढ़ने लगी लोगों की भाषा भी काफी खराब हो जाएगी और ये छोटी छोटी बात पर ही लोग अपशब्दों का इस्तेमाल और खूनखराबा करने से भी नहीं हिचकेंगे। लोग अपना अधिकतर समय भोग विलास में बिताएंगे। धर्म कर्म का लोप हो जाएगा। मनुष्य जब रही तो नास्तिक वह चोर हो जाएंगे और सभी एक दूसरे को लूटने का ढूंढने में लगे रहेंगे। चारों ओर होगा अशांति और अपराध का माहौल।

 समाज में हिंसा का एक ऐसा विकृत चेहरा देखने को मिलेगा जो न किसी ने कभी सोचा होगा और न ही देखा होगा। जो भी लोग बलवान होंगे उनका ही राज चलेगा। मानवता नष्ट होती जाएगी। रिश्ते नाते खत्म हो जाएंगे। एक भाई दूसरे भाई का शत्रु बन जाएगा। कलयुग के अंतिम चरण में चोरी हत्या और डकैती की घटनाएं बढ़ती चली जाएंगी।

 लोगों में दौलत की भूख इस कदर हावी हो जाएगी कि लोग एक दूसरे का कत्ल करने से भी पीछे नहीं हटेंगे। अधिकांश लोग एक दूसरे के प्रति हिंसक हो जाएंगे और सभी के मन में बाबू प्रवेश कर जाएगा। गृह क्लेश बढ़ने लगेंगे। लोगों में संयम नहीं रह जाएगा मनुष्यों को सब कुछ तुरंत चाहिए होगा। 

इच्छाओं के ज्यादा बढ़ने और तुरंत उनके पूरा न होने से लोग क्रोधी स्वभाव के हो जाएंगे जिससे वह आपराधिक घटनाओं को अंजाम देंगे। दुनिया में कई जगह अति भयंकर और भयानक युद्ध होंगे जिसमें निर्दोष लोग मारे जाएंगे और इन देशों के ज्यादातर शासक भी सिर्फ अपने स्वार्थ को साधने में लगे रहेंगे। गंगा भी लौट जाएगी बैकुंठ कलियुग के पांच हजार साल बाद गंगा नदी सूख जाएगी और पूरे बैकुंठ धाम में लौट जाएगी।

 जब कलियुग के दस हजार वर्ष होंगे तब सभी देवी देवता पृथ्वी छोड़कर अपने अपने सुदामा को लौट जाएंगे। मनुष्य पूजन कर्म व्रत उपवास और सभी धार्मिक काम करना बंद कर देगा। मनुष्यों के खानपान में आएगा अंत कलयुग के अंत में संसार की ऐसी दशा होगी कि कहीं भी आने नहीं उगेगा जो वृक्षों फलों से लबालब भरे रहते थे वे पूरी तरह से सूख जाएंगे और उसमें फली नहीं लगेगी। 

लोगों में तामसिक प्रवृत्ति हावी हो जाएगी और ज्यादातर मनुष्य मांस मछली खाएंगे और भेड़ बकरियों का दूध भी आएंगे। मदिरापान करना प्रतिष्ठा का पैमाना हो जाएगा। हिन्दू धर्म में सबसे ज्यादा पूजी जाने वाली गाय माता की संख्या बहुत ही कम हो जाएगी। जो होंगी भी उनकी देखभाल ठीक से नहीं होगी और उनका शरीर बकरी के समान दिखने लगेगा। 

यही नहीं गाय दूध देना भी बंद कर देगी तो मित्रों कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि दुनिया में पाप भी इतने हावी हो जाएंगे कि चारों ओर दुख अशांति और कलह का वातावरण रहेगा और विस्तार होगा। कलियुग का अंत कलयुग के अंत में भयंकर तूफान और भूकंप आएंगे। लोग मकानों में नहीं रहेंगे। गड्ढे खोदकर उन्हें रहना पड़ेगा। धरती का तीन हाथ अंश अर्थात लगभग साढ़े चार फुट नीचे तक धरती का उपजाऊ अंश नष्ट हो जाएगा। 

बहुत लंबे काल तक सूखा रहने के बाद कलयुग के अंतिम समय में बहुत मोटी धारा से लगातार वर्षा होगी जिससे चारों ओर पानी ही पानी हो जाएगा। समस्त पृथ्वी पर जल होगा और प्राणियों का अंत हो जाएगा जिसके बाद एक साधु द्वारा सूर्य उदय होंगे और उनके तेज से यह पृथ्वी फिर सूख जाएगी। 

ऐसे में कलियुग जब अपने चरम पर होगा तब भगवान विष्णु कल्कि रूप में जन्म लेंगे और पापियों का संहार करेंगे और इस प्रकार पूरे सृष्टि में शांति और धर्म की स्थापना होगी और शुरूआत होगी सदियों की। 

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