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कालसर्प दोष क्या है, निवारण, उपाय और प्रकार? Kaalsarp dosh explained.

कालसर्प दोष का नाम सुनते ही ज्यादातर लोगों के मन में एक अजीब सा डर बैठ जाता है। उनके मन में कई प्रकार की आशंकाएं घर कर जाती हैं और ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी है कि आखिर कालसर्प दूषित क्या होता है। क्या कुंडली में इस दोष के होने से इंसान को सिर्फ परेशानियां ही उठानी पड़ती है या फिर इसका कोई और पहलू भी है। अगर आपकी कुंडली में यह दोष हो तो इसके क्या उपाय करने चाहिए और इसको लेकर लोगों में इतना डर क्यों रहता है। इन्हीं कुछ सवालों के जवाब लेकर हाजिर है हम आज ही इस पोस्ट में,

कालसर्प दोष क्या है, निवारण, उपाय और प्रकार? Kaalsarp dosh explained.


 क्या है कालसर्प दोष मित्रों भृगु संहिता एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें ज्योतिष संबंधी समस्त जानकारियां दी गई हैं। इसकी रचना ऋषि भृगु ने की थी और इसके सूत्र अध्याय पांच हजार पांच सूत्र असीमित पितृ दोष का विस्तारपूर्वक का वर्णन मिलता है जिसे सामान्य ज्योतिषीय भाषा में कालसर्प दोष भी कहते हैं। कुण्डली में जब ये सारे ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाते हैं तभी यह कालसर्प योग बनता है।

 ज्योतिष में इस योग को अशुभ माना गया है लेकिन ऐसा भी नहीं है कि हमेशा ही योग बुरा फल ही प्रदान करता है। कभी कभी यह बहुत अच्छा फल भी प्रदान करता है जिसकी चर्चा आज हम इस पोस्ट में आगे करेंगे मित्रों।

 ज्योतिष में राहु को सर्प का मुख तथा केतु को सर्प की पूजा कहा गया है। राहु का जन्म भरणी नक्षत्र में तथा केतु का जन्म अश्लेषा में हुआ था जिसके देवता काल एवं सूर्य हैं। राहु को शनि का रूप और केतु को मंगल ग्रह का रूप भी माना गया है। राहु मिथुन राशि में उच्च तथा धनु राशि में नीच होता है राहु के नक्षत्र आदर्शवादी और शतभिषा में राहु प्रथम द्वितीय चतुर्थ पंचम सप्तम अष्टम नवम और द्वादश भाव में से किसी भी राशि का विशेषकर नीचे बैठा हो तो निश्चित ही उसे मनुष्य को आर्थिक मानसिक और बौद्धिक पीड़ाओं सहनी पड़ती है।

शास्त्रों का कहना है कि राहु और केतु छाया ग्रह हैं जो सदैव एक दूसरे से सातवें भाग में होते हैं। मित्र राहु और केतु भी शनि के समान क्रूर ग्रह माने गए हैं और शनि के समान ही विचार रखने वाले होते कालसर्प योग त्रिक बॉब एवं द्वितीय और अष्टम में राहु की उपस्थिति होने पर व्यक्ति को विशेष परेशानियों का सामना करना पड़ता है परंतु ज्योतिषीय उपचार करने से इन्हें अनुकूल बनाया जा सकता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कालसर्प दोष के लक्षण अन्य प्रकार कालसर्प दोष से पीड़ित होने पर व्यक्ति को काफी कठिन परिश्रम के बाद भी सफलता में काफी विलंब होता है।

व्यक्ति के जीवन में हमेशा मानसिक कष्ट बने रहते हैं। पीड़ित व्यक्ति के घर में कलेश पूर्ण वातावरण बना रहता है। युति के अचानक से पुराने तथा गुप्त शत्रु बनना शुरू हो जाते हैं। सर्प दोष होने पर व्यक्ति को संतान सुख प्राप्त करने में भी कई बाधाएं आती हैं। कालसर्प दोष होने पर व्यक्ति के विवाह में देरी होने लगती है। पीड़ित व्यक्ति स्वयं तथा उसके परिवार में कोई भी व्यक्ति लंबी बीमारी से ग्रसित हो सकता है पीड़ित व्यक्ति दुर्घटना ग्रस्त हो सकता है या फिर व्यक्ति के घर में कोई व्यक्ति दुर्घटना ग्रस्त हो सकता है। पीड़ित व्यक्ति को रोजगार में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 

पीड़ित व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले मांगलिक कार्य में व्यवधान उत्पन्न होने लगती है। पीड़ित व्यक्ति को गर्भपात जैसी समस्या अकाल मृत्यु जैसी समस्याएं या फिर प्रेत बाधा आदि जैसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। एक ही विचार बार बार आना कार्य में विरोध उत्पन्न होना या बार में हानि की संभावना हमेशा बनी रहना और किसी कार्य में मन का नहीं लगना कालसर्प दोष के लक्षण हो सकते हैं। मित्रो कालसर्प दोष मुख्य रूप से 12 प्रकार के बताए गए हैं। अगर आप भी इनके बारे में जानने के इच्छुक हैं तो हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएं। आइए मिलकर जानते हैं कि कालसर्प दोष से बचने के क्या क्या उपाय हैं मित्रों। 

जैसा कि आप जानते हैं कि अगर जातक की कुंडली में यह योग होता है तो वह भयाक्रांत हो जाता है। इसी डर को दूर करने के लिए ज्योतिषशास्त्र में कई उपाय बताए गए हैं जिनका पालन करने से इस दोष से मुक्ति मिलने की संभावना होती है। कालसर्प योग की शांति का मुख्य संबंध भगवान शिव से जुड़ी कालसर्प भगवान शिव के गले का ही हार है इसीलिए किसी भी शिव मंदिर में कालसर्प योग की शांति का विधान करना चाहिए। 

महाशिवरात्रि नागपंचमी और ग्रह आदि के लिए शिवालय में नाग नागिन की चांदी या फिर तांबे का जोड़ा अर्पित करें और नवनाथ स्त्रोत का जाप करें। मित्रों नवनाथ स्त्रोत इस प्रकार है अनंत वासुकि शेष। बदनावर। कंबल शंकर बाली दान राष्ट्र तक्षक कालिया तथा दानी नवीना मानी नगा राजा महात्मा ना सोएं काले पढ़ें। 

नित्य प्रात काले विशेषत अर्थात नाग देव जी सुगंधित पुष्प व चंदन से ही पूजा की। भी चाहिए क्योंकि नाग देव को सुगंध प्रिय है साथ ही इस मंत्र का जाप करने से सर्प विष भी दूर हो जाते हैं। ये मंत्र है ओम गुरु कुल्ले हुं फट् स्वाहा और मित्रों इन सब उपायों को करने से पहले किसी ऐसे व्यक्ति से सलाह जरूर कर लें जिसका ज्योतिष की अच्छी समझ हो। शुभफल भी प्रदान करता है। 

कालसर्प योग अगर कालसर्प योग के दूसरे पक्ष पर नजर डाली जाए तो इसके योग वाले व्यक्ति विलक्षण प्रतिभा एवं कई गुरों वाले भी होते हैं। राहु जिनकी कुण्डली में अनुकूल फल देने वाला होता है उन्हें कालसर्प योग में महान उपलब्धियां हासिल होती है। जिस प्रकार शनि की साढ़ेसाती व्यक्ति से बहुत परिश्रम करवाती है एवं उसके अंदर की कमियों को दूर करने की प्रेरणा देती है उसी प्रकार कालसर्प व्यक्ति को जुझारू संघर्षशील और साहसी बनाता है। 

इस योग से प्रभावित व्यक्ति अपनी क्षमताओं का पूरा इस्तेमाल करता है और निरंतर आगे बढ़ता जाता है। इस बात की संभावना भी रहती है कि आपकी कुण्डली में मौजूद कालसर्प योग आपको भी चर्चित हस्तियों की श्रेणी में रख लेगा इसीलिए मन से भय निराशा और असफलता का भाव निकाल कर लगातार प्रयास करते रहें कामयाबी आपको अवश्य मिलेगी। 

इस योग में वही लोग पीछे रहते हैं जो अकर्मण्य होती है जबकि अपने लक्ष्यों के प्रति पूरी लगन से कार्य करने वाले व्यक्तियों के लिए यह योग राजयोग देने वाला भी होता है क्योंकि हमारे सामने ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं जिनसे यह सिद्ध होता है कि कुण्डली में इसी योग के बावजूद भी उन लोगों ने अपनी प्रतिभा का डंका बजाया है और पूरी दुनिया में नाम कमाया है। जैसे कि धीरूभाई अंबानी इंदिरा गांधी मोरारजी देसाई सचिन तेंदुलकर ऋषिकेश मुखर्जी पंडित जवाहर लाल नेहरू और लता मंगेशकर आदि।

 तो मित्रों आपने देखा कि कालसर्प योग कैसे बनता है और क्या हैं इसके उपाय। साथ ही आपने ये भी जाना कि ये योग सदैव ही हानिकारक नहीं होता और इसका एक और पक्ष भी है मित्रो। वैसे आपको बता दें कि प्राचीन भारतीय ज्योतिष में कहीं भी कालसर्प योग का उल्लेख नहीं मिलता। प्राचीन ग्रंथों में इतना ही बताया गया है कि राहु और केतु के मध्य सभी ग्रहों के होने पर सर्प योग बनता है लेकिन इसका विस्तृत वर्णन हमें कहीं नहीं मिलता इसीलिए इसी योग को लेकर कई ज्योतिर्विदों के मतों में अंतर है।

 हां भृगु संहिता में खगोलीय गणना ग्रह नक्षत्रों नीलकांत उल्काओं धूमकेतु आदि की गति का उल्लेख जरूर मिलता है तो उम्मीद करते कि आपको हमारी आज की ये पोस्ट पसंद आई हो। अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई हो तो नीचे कमेंट करके हमें अवश्य बताएं। फिलहाल मित्रो आज के लिए बस इतना ही अब इजाजत दे आपका बहुत बहुत शुक्रिया। 


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