दोस्तो आप बचपन से सुनते आ रहे हैं कि इस पूरे संसार को भगवान ने बनाया है, लेकिन हम विज्ञान की मानें तो इस पूरे संसार का निर्माण अपने आप ही हुआ है, याने इसमें किसी की भी कोई भूमिका नहीं है, अगर हम दुनिया में मौजूद धर्म और जाति को मानने वाले लोगों की माने तो उनके मुताबिक इस संसार को भगवान चला रहा है, इन सभी चीजों को सुनकर आपके मन में भी यह सवाल आया होगा, कि अगर हमें भगवान ने बनाया है, तो भगवान को किसने बनाया है, आखिर भगवान का क्या अस्तित्व है और क्या वाकई में भगवान इस दुनिया में है, तो दोस्तों आपके इन सभी सवालों का जवाब हमारे इस पोस्ट में मौजूद है
तो बढ़ना जारी रक्खे
मान लीजिए कि आप से कोई आकर कहे कि आपका घर किसी ने बनाया नहीं, बल्कि अपने आप ही बन गया है, तो आप उसे क्या कहेंगे, जाहिर सी बात है, आप यही कहेंगे कि यह अपने आप नहीं बना, बल्कि इसे इंसानो ने मिलकर बनाया है, हमारे इतने कहने पर सामने वाला बंदा कहने लगे कि साबित करो कि इसे इंसानो ने बनाया है, तो आप कैसे साबित करेंगे, तो दोस्तों इस चीज को साबित करने के लिए बस एक ही शब्द काफी है, और वह है व्यवस्था यानी कि अरेंजमेंट, अगर आपके पास चीजों की व्यवस्था मौजूद है तो आप किसी भी चीज का निर्माण कर सकते हैं, और जब बात व्यवस्था की आती है तो व्यवस्था किसी भी चीज की अपने आप नहीं बन सकती है, जाहिर सी बात है कि आपका घर पूरी तरह से व्यवस्थित है, मतलब आपके घर को सुरक्षित रखने के लिए दरवाजे लगे हैं, हवा आने जाने के लिए खिड़कियां हैं, अगर आप और ज्यादा खर्चा करें तो घर पूरा टाइल्स का बन सकता है, अगर और भी ज्यादा खर्चा करें तो पूरे घर में ऐसी लग सकती है, सब कुछ आप की व्यवस्था पर डिपेंड करता है, कि आपको किस तरह का आउटकम मिल रहा है, मतलब कि आप के परिणाम किस तरह के हो रहे हैं, जाहिर सी बात है कि व्यवस्थाएं तो अपने आप से बन नहीं बन सकती।
अब आप जरा प्रकृति की तरफ नजर डालिए, क्या आपको इसमें कोई भी व्यवस्था नहीं दिखती, आप खुद ही सोचिए कि जब कोई बच्चा जन्म लेता है, तब वो 6 महीने तक कुछ भी खा पी नहीं सकता, उस टाइम मां के स्तन में दूध आता है, जिसे पीकर वह बच्चा जिंदा रहता है और सारे पौष्टिक तत्व अपने अंदर लाता है, अरे यह तो बहुत बड़ी बात हो गई, और इंसान ऑक्सीजन लेकर कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं और पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड लेकर ऑक्सीजन छोड़ते हैं, तो क्या यह व्यवस्था नहीं है, यानी कि हम इंसान और पेड़ दोनों ही जिंदा रहने के लिए एक दूसरे पर डिपेंडेंट है, यह व्यवस्था नहीं है तो और क्या है,
हमारी पृथ्वी 23 डिग्री पर झुकी हुई है, ताकि मौसम बदलते रहे, गर्मी पड़ने पर तेज बारिश होती है जिससे समुद्र का स्तर बढ़ जाता है और सभी जीव जंतुओं की प्यास तो बुझती है उसके साथ साथ ठंडक का भी अनुभव होता है, और कभी भी मौसम जल्दी-जल्दी नहीं बदलता, बल्कि वह धीरे-धीरे बदलता है, ताकि इंसान उसको अपने हिसाब से आपने आप को उस मौसम में ढाल सके, और यह भी प्रकृति की व्यवस्था ही है, वरना आप खुद ही सोचिए कि दिन में पारा 50 डिग्री सेल्सियस हो, और वही रात में पारा 10 डिग्री सेल्सियस हो, तो इंसान इतनी जल्दी बदलते तापमान की वजह से पागल सा हो जाएगा, लेकिन आज तक ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि प्रकृति को व्यवस्थित रहना आता है, अब इन व्यवस्थाओं को जिस किसी ने भी बनवाया है, आप उन्हें अल्लाह, भगवान, गॉड, कुछ भी कह सकते हैं, यह टोटली आप पर डिपेंड करता है,
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पर यहां सवाल यह उठता है कि भगवान ने हमें बनाया है तो भगवान को किसने बनाया है, दोस्तों हम आपको इसके बारे में बताएं उससे पहले आप हमें बताइए कि भगवान अस्तित्व में है, या फिर सब विज्ञान कि कहीं बातें सच है, अपना जवाब नीचे कमेंट करके जरूर बताइएगा, अब आते हैं उस सवाल पर जिसका जवाब जानने के लिए आप बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, पर जवाब बताने से पहले आप जरा यहां देखिए यह हमारी पृथ्वी है
जिसका डायमीटर करीब 13000 किलोमीटर है, पृथ्वी से करीब 17 गुना बड़ा ग्रह नेपच्यून है,
और हमारे सौर्य मंडल का शनि यानी कि सैटर्न हमारी पृथ्वी से 707 गुना बड़ा है,
और हम पूरे सूर्य मंडल के सबसे बड़े ग्रह की बात करें तो वह कोई और नहीं बल्कि जुपिटर है,
वह इतना बड़ा है कि इसमें कम से कम 1300 पृथ्वीयां समा सकती है, और दोस्तों अगर हम सूर्य की बात करें तो सूर्य में 130000 पृथ्वियां एक साथ समा सकती है,
जिससे आप समझ गए होंगे कि हमारा सूर्य कितना बड़ा है, परंतु आप सूर्य की तुलना एक "सीरियस" नामक तारे से करें तो इसके आगे सूर्य भी दूध पीते बच्चे की तरह दिखाई देगा,
पर सबसे बड़ा तारा यह नहीं है, बल्कि इससे भी कई और बड़े-बड़े तारे पूरे ब्रह्मांड में मौजूद हैं और यह तारे कितने बड़े हो सकते हैं यह तो हम और आप सोच भी नहीं सकते,
मतलब इनका साइज पृथ्वी से करोड़ों गुना ज्यादा बड़ा होगा, जिससे आप समझ सकते हैं कि हमारे ब्रह्मांड का विस्तार कितना ज्यादा हुआ है,
और आप देख सकते हैं कि हमारी आकाशगंगा जोकि कि मिल्की वे है, वहां से आप देख सकते हैं कि पृथ्वी जूम करने पर भी दिखाई नहीं देगी,
आकाश गंगा (मिल्की वे) |
पर बात अभी भी यहां पर खत्म नहीं होती, यह तो बल्कि एक शुरुआत है, ऐसी कई सारी कितनी और आकाशगंगा ब्रह्मांड में मौजूद है जिसमें कई सारे खरबों अरबों तारे और सूर्य ग्रह और पृथ्वी ग्रह जैसे कई सारे ग्रह भी मौजूद हैं, और इन सब से मिलकर बना है हमारा ब्रह्मांड, जो कि इतना ज्यादा बढ़ा है वह तो आप देखकर समझ ही गए होंगे, याने कि कहा जाए तो ब्रह्मांड इतना बड़ा है कि हमारी जिंदगी बीत जाएगी लेकिन हम इसके विस्तार को नाप नहीं पाएंगे, अब अगर आप ब्रह्मांड के बारे में इतना सब कुछ जान चुके हैं,
तो असली समय आ गया है उस सवाल का जवाब देने का जिसका आप काफी समय से इंतजार कर रहे हैं, जिसमें आप में से कई लोगों ने पूछा था कि भगवान ने हमें बनाया तो भगवान को किसने बनाया, अब हम इस चीज को आप को समझाने के लिए एक सीधा सा उदाहरण देते हैं, कि आप एक गधे को यह समझ जाएंगे कि थॉमस अल्वा एडिसन ने बल्ब कैसे बनाया, तो वह नहीं समझ पाएगा, अरे थॉमस के इंवेंशन को छोड़िए अगर आप गधे को एबीसीडी भी सिखाएंगे तो उसे समझ नहीं आएगा, ऐसे में आप बुरा मत मानिए गा कि इस पूरे ब्रह्मांड की विशालता और ऐसे भयंकर स्वरूप के सामने हम और आप बिल्कुल गधे हैं, इसलिए हम यह कभी भी समझ नहीं समझ पाएंगे कि ईश्वर क्या है और उसने सृष्टि की रचना किस लिए की,
अच्छे लोगों के साथ ही हमेशा बुरा क्यों होता है । Achhe logo ke sath hi hamesha bura kyo hota hai
दोस्तों आज हम इंसान पूरे पृथ्वी पर पाए जाने वाले जीवो से ज्यादा बुद्धिमान है, लेकिन ईश्वर ने हमें इतनी भी ज्यादा बुद्धि नहीं दी है कि हम ब्रह्मांड के रहस्य को सुलझा सकें,
मुझे पता है की आपको अपने आप को गधा कहने में तकलीफ हो रही होगी, लेकिन कहा जाए तो हम इंसान गधे से कहीं गुना ज्यादा गए गुजरे हैं, क्योंकि हम इंसान भगवान को लेकर आपस में लड़ते रहते हैं,
और अकसर ऐसे लोग यह कहते हैं कि मैं अपने धर्म की रक्षा कर रहा हूं, अपने भगवान की रक्षा कर रहा हूं, अब इनको कौन बताया कि यह भला उसकी रक्षा कैसे कर सकते हैं, जिसने पूरे संसार को बनाया अगर उनको खुद को बचाना होगा तो उनके लिए यह सिर्फ 1 सेकंड का काम है, अरे भाई इस सृष्टि में हमारी और आपकी हैसियत ही क्या है, हम और आप बस एक कीटाणु की तरह है, इसीलिए तो हमारी जिंदगी में कई सारी परेशानियां चला करती है, ऊपर से हम सारी चीजों को छोड़कर मंदिर, मस्जिद किया करते हैं,
अब आप खुद ही यह बताइए कि जिसने पूरे ब्रह्मांड को बनाया, इस ब्रह्मांड में इतने सारे अलग-अलग ग्रह है, कि कहीं पर हीरे गिरते हैं, तो कहीं पर सोना भरा पड़ा है, तो कहीं पर बर्फ की ठंडक गिरती है, अब इतनी सारी सुंदर सुंदर जगहों को छोड़कर ईश्वर हमारे और आपके मंदिरों में रहने क्यों आएंगे,
और जो हम ईश्वर, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड किया करते हैं, आपको पता है कि इनका यही नाम है, अरे यह भी तो हो सकता है कि अल्लाह का नाम अल्लाह ना होकर ईश्वर हो, और ईश्वर का नाम ईश्वर ना होकर वाहेगुरु हो, उन्होंने आपको आकर तो बताया नहीं कि मेरा नाम क्या है,
ऐसे में हम अपने दिमाग में ख्याली पुलाव पुलाव बना कर इतनी सारी लड़ाइयां क्यों लड़ रहे हैं, और अगर देखा जाए तो दुनिया में चल रही आधे से ज्यादा लड़ाईया धर्म और जाति के नाम पर ही होती है,
और यह हाल केवल भारत का ही नहीं है, आपको ऐसी चीजें बाहर भी कई देशों में देखने को मिलेंगी, जहां लोग काला गोरा करके एक दूसरे को नीचा दिखाने में लगे हुए हैं,
अब आप ही बताइए कि हम इंसान ऐसा सब कुछ करके कैसे अपने आप को गधे से समझदार बता सकते हैं, अगर हम सही मायने में देखें तो हमसे ज्यादा समझदार तो जानवर होते हैं, जो अगर किसी चीज के बारे में नहीं जानते हैं तो उसके बारे में सोच कर अपना हाथ पैर नहीं पटकते हैं, लेकिन इंसानों को यह बात नहीं समझ में आती कि किस जगह पर कौन सी बात कहनी है और कौन सी नहीं,
अगर हम साफ शब्दों में कहें तो भगवान वो शक्ति है जिसने हम सब को एक कर के रखा हुआ है, एक जानवर दूसरे जानवर का भोजन बनता है, दूसरा जानवर तीसरे जानवर का भोजन बनता है, तीसरा जानवर चौथे जानवर का भोजन बनता है और इसी तरह यह फूड साइकिल चलती रहती है, इन सारी चीजों को व्यवस्थित करने वाली जो शक्तियां है, उसी को हम ईश्वर कहते हैं, वह किसी भी रूप में हो सकती है, हमें नहीं लगता कि इन शक्तियों का इंसानी शरीर से कोई लेना-देना है, क्योंकि अगर यह शक्ति इंसानी शरीर में होती, तो वह कब की खत्म हो चुकी होती, इसलिए यह शक्तियां अजर है अमर है, इसलिए यह हमारे और आपके समझने लायक नहीं है, इसलिए इन अलौकिक शक्तियां को आपके द्वारा की जाने वाली किसी भी भक्ति की कोई जरूरत नहीं है, इनको नाही आपके चद्दर की जरूरत है, ना ही आपके चढ़ावे की, आप जो कुछ भी करेंगे सिर्फ और सिर्फ अपनी शांति के लिए करेंगे।
उम्मीद है आप लोग समझ गए होंगे कि भगवान का अस्तित्व है भी और नहीं भी, अब आप पर यह निर्भर करता है कि आप इन अलौकिक शक्तियों को किस तरह से देखते हैं, यह ठीक उसी तरह है जिस तरह से आप अपनी जिंदगी को देखते हैं, अगर आप अपनी जिंदगी में अच्छी चीजों के बारे में सोचेंगे, अच्छा करेंगे, तो आप अपनी पूरी जिंदगी में सिर्फ और सिर्फ खुशियां ही पाएंगे, लेकिन आपका ध्यान सिर्फ बुरी चीजों में होगा तो आपकी जिंदगी में अच्छी चीज कभी हो ही नहीं सकती, आप ईश्वर को माने या ना माने लेकिन इस अलौकिक शक्तियों को आपको मानना ही पड़ेगा, जो इस पूरे संसार को चला रही है, जिसने इस प्रकृति को इस आधार पर तैयार किया है की यहां पर रहने वाला छोटे से छोटा जीव भी जीवन यापन कर सके, अब आपका इसके बारे में क्या कहना है हमें कमेंट करके जरूर बताइए, और इसी तरह की इंटरेस्टिंग पोस्ट को पढ़ने के लिए पेज को सब्सक्राइब करना ना भूले।
2 Comments
Superb line for god, Awesome thoughts
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