मित्रो प्रभु श्रीराम के जीवन का सार वाल्मीकि रचित रामायण और तुलसीदास की रामचरित मानस में मिलता है। हाल ही में जब दोबारा से रामायण सीरियल को छोटे पर्दे पर टेलीकास्ट किया गया तो एक बार फिर से पूरा देश राम भक्ति में डूब गया। और रामायण चर्चा के केन्द्र में आ गई लेकिन रामायण के कुछ ऐसे भी राज से हैं जिनसे आज भी अधिकतर जनमानस अनजान है।
आज के इस आर्टिकल में हम ऐसे ही रहस्यों से पर्दा उठाएंगे। नमस्कार दोस्तो, स्वागत है आपका कंटेंट मसाला के पेज पर।
1. दोस्तो पहला यह है की राजा दशरथ की एक पुत्री भी थी। मित्रो परंतु ज्यादातर लोगों को पता है कि प्रभु श्री राम को मिलाकर राजा दशरथ के चार बेटे थे, लेकिन श्री राम की एक बहन भी थी जिसके बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं। उनका नाम शांता था और वह उम्र में चारों भाईयों से बड़ी थी। उनकी माता कौशल्या थी।
और एक मान्यता के अनुसार एक बार की बात है। अंग देश के राजा राम पद और उनकी पत्नी दर्शनी अयोध्या में पधारे वो नि:संतान थे। उनसे चर्चा के दौरान जब राजा दशरथ को ये बातें पता चली तो उन्होंने कहा कि मैं अपनी पुत्री शांता को आपकी संतान के रूप में सौंपता हूं। यह सुनकर दोनों अति प्रसन्न हुए और वह शांता को लेकर अपने साथ ही चले गए। उन्होंने बड़े ही प्यार से शांता का पालन पोषण किया और एक अच्छे माता पिता के सभी कर्तव्यों को निभाया।
2. 14 वर्षों तक नहीं सोए थे लक्ष्मण। एक मान्यता के अनुसार जब वनवास की प्रथम रात्रि को श्रीराम और माता सीता सो गई लेकिन लक्ष्मण ने नहीं सोए, तो कुछ ही समय बाद वाहा निंद्रा देवी आई और उन से पूछा की आप सो क्यों नहीं रहे है,
तो उन्होंने उत्तर देते हुए कहा मुझे भैया आरे भाभी का ध्यान रखना है, इसलिए आपसे अनुरोध है कि मुझे ऐसा वरदान प्रदान करें कि वनवास के 14 वर्षों के दौरान मुझे नींद ही न आए और मैं अपने प्रिय भाई और भाभी का अच्छे से खयाल रख सकूं।
निद्रा देवी उनकी इस बात पर खुश हुई और बोलीं मैं तुम्हें यह वरदान तभी दे सकती हूं जब कोई तुम्हारे बदले 14 वर्षों तक सोने का संकल्प करे तो उन्होंने अपनी पत्नी का नाम उन्हें बताया और इस प्रकार उर्मिला ने लक्ष्मण के बदले सोना स्वीकार कर लिया और पूरे 14 वर्षों तक सोती रही। इतने वर्षों तक न सोने के कारण ही लक्ष्मण का एक नाम गुड्डा केश भी था जिसका अर्थ होता है निद्रा को जीतने वाला।
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3. रावण के ध्वज में क्यों उठा वीणा का चिन्ह। मित्रों रावण की नाभि में अमृत था और उसके दस सिर थे ये बात तो अधिकांश लोग जानते हैं मगर क्या आपको पता है कि रावण के ध्वज में प्रतीक के रूप में वीणा होने का कारण क्या था। असल में रावण एक उत्कृष्ट वीणा वादक था और उसे कला में भी बहुत रूचि थी इसी कारण उसके ध्वज में प्रतीक के रूप में विना अंकित थी।
रावण बहुत अच्छी वीणा बजा तो लेता था लेकिन उसने अपनी इस कला का ज्यादा प्रदर्शन कभी नहीं किया। इसीलिए इसका उल्लेख कम ही मिलता है।
4. इतना क्यों सोता था कुंभ कर्ण, मित्रो कुम्भकरण रावण का छोटा भाई था। ज्यादातर लोगों को ये तो पता है कि वे खूब खाता और छह महीने तक सोता था लेकिन इसके पीछे की एक बेहद दिलचस्प कहानी है जो आम जनमानस से छिपी हुई है। असल में ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए कुम्भकरण ने कठिन तपस्या की थी।
फिर एक दिन ब्रह्माजी प्रकट हुए और कुम्भकरण से वरदान मांगने को कहा। देवराज इंद्र को जब ये पता चला तो उसे डर लगने लगा कि वे वरदान में कहीं इंद्रासन न मांग लें। अतः उन्होंने देवी सरस्वती से विनम्र आग्रह किया कि वे कुम्भकरण की जीवा पर बैठ जाए जिससे वह इंद्रासन के बदले निद्रा आसन मांग लें। इस प्रकार इंद्र की ईर्ष्या की वजह से ही कुम्भकरण मांगना कुछ और चाहता था लेकिन उसे वरदान कुछ और ही मिला।
5. श्रीराम के अन्य भाई किसके अवतार थे। मित्रो हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार भगवान राम को विष्णु का अवतार माना जाता है लेकिन उनके भाई किसके अवतार थे इसकी चर्चा बहुत कम ही होती है। मित्रों अगर आप इसके बारे में नहीं जानते तो हम आको बता दें की लक्ष्मण को भगवान के वाहन शेषनाग का अवतार माना जाता है जबकि भरत और शत्रुघन को सुदर्शन चक्र और शंख शैल का अवतार माना गया है।
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6. रावण की मृत्यु के पीछे था शूर्पणखा का श्राप। मित्रो ये हम सभी जानते हैं कि लक्ष्मण द्वारा सुरपनाखा के नाक काटे जाने से क्रोधित होकर लंकापति रावण ने माता सीता का हरण किया था लेकिन आप में से बहुत कम ही लोग ये जानते होंगे कि उसकी बहन शूर्पणखा ने भी लंकापति रावण को सर्वनाश हो जाने का शाप दिया था।
चूंकि रावण की बहन के पति का नाम विद्युत था और वह काल के राजा का सेनापति था। रावण जब विश्वविजय पर निकला तब उसका राजा काल से भी युद्ध हुआ था तब उसने इसे युद्ध में अपनी बहन के पति विद्युत् को मार दिया था, जिससे रावण की बहन सुर्पनखा बहुत दुखी हुई और उसने आपने मन में ही रावण को श्राप दे दिया था की मेरे ही वजह से तेरा विनाश हो जायेगा।
7. लंका में बिना अन्न जल के कैसे रही देवी सीता। एक दिन अशोक वाटिका में राम के वियोग में शोक में डूबी हुई देवी सीता ने अन्न जल को त्याग दिया था। ये देखकर ब्रह्माजी घबरा गए और उन्होंने इंद्र को देवी सीता के खाने का प्रबंध करने को कहा। ब्रह्मदेव के आदेश का पालन करते हुए देवराज इंद्र विशेष खीर से भरा हुआ कटोरा, अतः निद्रा देवी पहले लंका पहुंचे तब निद्रा देवी ने अपनी शक्ति से सभी राक्षसों को सुला दिया। जिसके बाद वे देवराज इंद्र उनको अपना परिचय देते हुए उनसे खीर खाने का आग्रह करते हैं और कहते हैं कि इस खीर को खाने से आपको कई दिनों तक भूख प्यास नहीं लगेगी। तो सीता माता ने इंद्र जी के कहने और परिचय देने के बाद वो खीर खा ली और यही कारण था की सीता माता अशोक वाटिका में बिना कुछ खाए पिए 2 महीने तक रह पाई।
8. दोस्तो रावण ने सीता हरण से पहले भी एक स्त्री का अपहरण किया था । दोस्तो रावण ने सीता माता का अपहरण किया था इसके बारे में तो आप सब जानते ही होंगे, लेकिन आनंद रामायण के अनुसार रावण ने न केवल सीता देवी का अपहरण किया था बल्कि एक बार कौशल्या का भी अपहरण किया था।
असल में ब्रह्मा जी ने रावण को पहले ही ये बता दिया था कि दशरथ और कौशल्या का पुत्र उसकी मृत्यु का कारण बनेगा। अपनी मृत्यु को टालने के लिए रावण ने कौशल्या का अपहरण कर उसे एक डिब्बे में बंद करके एक समंदर से घिरे हुए द्वीप पर छोड़ दिया था। बाद में दशरथ बेहद कठिनाईयों को पार करते हुए उस भूमि पर पहुंचे और कौशल्या को सकुशल बचा कर अपने महल लेकर आए थे।
9. वाल्मीकि रामायण में नहीं मिलता लक्ष्मण रेखा प्रकरण। मित्रो भगवान राम ने जब वन में मारीच नामक राक्षस पर बाण से प्रहार किया तो उसने अपनी माया के जरिये राम जैसी आवाज निकाली जिसको सुनकर सीता परेशान हो गई और लक्ष्मण से राम के पास जाने को कहा। जबकि लक्ष्मण उस माया को समझ रहे थे। उन्होंने सीता जी को कई बार समझाने की कोशिश भी की पर वह मानने को तैयार ही नहीं हुई और लक्ष्मण से तुरंत रामजी के पास जाने को कहा। इसके बाद लक्ष्मण ने झोंपड़ी के चारों ओर एक रेखा खींची और माता सीता से अनुरोध किया कि वे रेखा के अंदर ही रहें और यदि कोई बाहरी व्यक्ति इस रेखा को पार करने की कोशिश करेगा तो वह जलकर भस्म हो जाएगा।
इस प्रकरण के संबंध में अज्ञात तथ्य ये है मित्रो इस कहानी का वर्णन वाल्मीकि रामायण में नहीं मिलता लेकिन रामचरित मानस के लंका काण्ड में इस बात का उल्लेख कर रावण की पत्नी मंदोदरी द्वारा किया गया है।
अंतिम सार
तो मित्रों ये थी रामायण की वो घटनाएं जो काफी महत्वपूर्ण थीं लेकिन जिनका जिक्र कम ही होता है। उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा आज का ये आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आया है तो इसे लाइक और ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। ऐसी ही और भी आध्यात्मिक और धार्मिक जानकारियों के लिए हमे सोशल मीडिया पर फॉलो करना ना भूलें। फिलहाल आज के लिए इतना ही अब इजाजत दे, आपका बहुत बहुत शुक्रिया।






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